sidh kunjika - An Overview
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देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
न सूक्तं नापि ध्यानं च, न न्यासो न च वार्चनम्।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
यस्तु कुञ्जिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।
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सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
श्रृणु देवि ! प्रवक्ष्यामि, कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
येन मन्त्र प्रभावेण, get more info चण्डी जापः शुभो भवेत।।
पाठ मात्रेण संसिद्धयेत् कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः